ए देखे चार चंद एक ठोर जुगल चंद बरन नील, जुगल शशि सोहत बरन गोर… ए देखे० टेक निरख रही नितंबिनी, नवल पीया के संग नये नये नेह भरी, रविजा ऑर… ए देखे० १ चंद संग चार कीर, चार कुद चार प्रवाल चार मीन अलि चार फल, चार अष्ट चकोर… ए देखे० २ प्रेमानंद परम सुंदर छबी, विलोकी थकीत भयो अटकी रह्यो तहां, मन मोर… ए देखे० ३
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