ए लीने सरस सार उपचार
करन विहार प्यारी भेट ले चली वृषभान दुलारी… ए लीने० टेक

करकें सिंगार लीने, फुल चार फल चार
चार चतुर पद खाग चारी… ए लीने० १

नव सप्त सज सोहाग, पीया संग अनुराग
बडभाग देखन लाग रस भरी नारी… ए लीने० २

ऑर हुं अनेक भाव, नेंन बेंन सेंनहुंमें
प्रेमानंद करके रिझाये गिरिधारी… ए लीने० ३