मारो मन बंसि बजाय लीयो… मारो० क्हाना कामण कांइ कीयो… मारो० टेक
काम काज माने कांइ न सूझे, जीव थांसुं लागी रीयो… मारो० १
वाट घाट मानें जातां वलतां, नजर मेलावो दीयो… मारो० २
तब मारुं मानें चेंन पडे छे, निरखी ठरे छे हीयो… मारो० ३
प्रेमानंदरा नाथ सनेही, कोटी वरीसोंथें जीयो… मारो० ४